Saturday, June 28, 2014

Zinda To Ab Bhi Hoon...

ऐसा तो नहीं की मैं अब जिंदा नहीं,
बस ज़िन्दगी अब मेरे साथ नहीं है...
साँसें तो अब भी ले रहा हूँ मैं,
पर न जाने क्यूँ,
मुझे अब जिंदगानी कोसों तक नज़र नहीं आती...

तुम कहा करती थी ना, कि हँसते हुए अच्छा लगता हूँ,
देखो, अब भी मुस्कुराता हूँ,
मगर सिर्फ दिखाने के लिए...

तुम चली गयी, इसका गम नहीं मुझको,
गम तो है, कि मैं तुम्हे रोक न पाया...

मैं तब भी लिखता था, मैं अब भी लिखता हूँ,
बस मामूली सा फर्क है मेरे लिखने में,
तब तुम्हारे लिए लिखता था,
अब तुम्हे याद कर लिखता हूँ...

तुम्हे अच्छा लगता था, मेरा तुम्हें यूँ देखना,
ज़िन्दगी में फिर कभी, किसी को यूँ देख न पाउँगा...

तुम कह गयी थी ना, कि कभी किसी को बता नहीं सकता,
देखना, एक दिन सबके सामने, हमारी गाथा मैं सुनाऊंगा...

"आज मैं कुछ नया शुरू कर रहा हूँ...
साथ बिताये उस वक़्त को, शब्दों में संजोने जा रहा हूँ...
इन शब्दों को मिलाकर, मैं एक कहानी कहने जा रहा हूँ.."